Editorial: मतदाताओं ने साबित किया- भारत का लोकतंत्र क्यों है महान
- By Habib --
- Monday, 03 Jun, 2024
Voters proved why India democracy is great
Voters proved why India democracy is great लोकसभा चुनाव 2024 की प्रक्रिया पूरी होने को है, लेकिन चुनाव आयोग ने मतगणना से पहले देश के सामने आकर ऐसी बातें जाहिर की हैं, जोकि देश में लोकतंत्र की महानता और इसके महत्व को बढ़ाने वाली हैं। बेशक, भारत निर्वाचन आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस चुनावी नतीजे सामने आने के बाद भी कर सकता था, लेकिन यह वह समय है, जब प्रत्येक नजर चुनाव आयोग पर है, ऐसे में उसकी कही बातों को गौर से सुना और समझा जा रहा है, तब आयोग की ओर से इन बातों का जिक्र यही बताता है कि वह पूरे देश को यह समझाना चाहता है कि आखिर इस बार के आम चुनाव में क्या खास हुआ है।
गौरतलब यह है कि चुनाव आयोग ने जाहिर किया है कि इस बार चुनावों में मतदाताओं ने कई रिकॉर्ड कायम किए हैं। इस बार महिला मतदाताओं ने बढ़-चढक़र वोटिंग की है। इस बार 31 करोड़ महिलाओं ने मतदान किया है, जोकि देश के निर्वाचन इतिहास में पहली बार हुआ है। जिस भी पार्टी या गठबंधन को इस बार बहुमत की प्राप्ति होगी, निश्चित रूप से उसमें मातृत्व शक्ति का हाथ होगा।
इस बार यह भी पहली बार हुआ है कि घर से ही वोटिंग करने का भी रिकॉर्ड बना है। पूरे देश में 31 करोड़ 20 लाख महिलाओं सहित 64 करोड़ 20 मतदाताओं ने हिस्सा लेते हुए इस चुनाव पर्व को देश का गौरव पर्व भी बनाया है। यह अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है। यह वह देश भी है, जहां चुनाव के नाम पर आपातकाल लागू करके जनता की आवाज को दबा दिया जाता था, लेकिन अब यह वही देश है, जहां इतने मतदाता अपनी आवाज को बुलंद करते हुए घरों से बाहर आते हैं और मतदान करते हैं। हालांकि यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता था, क्योंकि देश में आबादी 64 करोड़ ही नहीं है। देश में आम चुनाव होता है और ज्यादातर लोग इसे छुट्टी का दिन मानने लगते हैं।
बावजूद इसके इस बार चुनाव आयोग ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए जिस प्रकार से अभियान चलाया है, वह बेहद प्रशंसनीय है। महज राजनीतिक दलों ने इसका अहसास नहीं कराया है, कि आम चुनाव हैं। चुनाव आयोग ने भी इसका बखूबी अहसास कराया है कि मतदाता को अपने घरों से बाहर आना है और वोट करना है। मालूम हो, चुनाव कर्मियों के सावधानीपूर्वक काम के कारण इस बार कम पुनर्मतदान सुनिश्चित हुआ। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में 39 पुनर्मतदान हुए हैं, जबकि 2019 में 540 पुनर्मतदान हुए थे और 39 में से 25 पुनर्मतदान केवल 2 राज्यों में थे। हरियाणा जैसे राज्यों में जहां चुनावी हिंसा के अनेक मामले सामने आते थे, इस बार सब कुछ शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। यहां एक मतदान केंद्र पर भी फिर से मतदान की जरूरत नहीं पड़ रही।
वास्तव में ही यह वह चुनाव रहा जिसमें हमने हिंसा नहीं देखी। इसके लिए दो साल की तैयारी की जरूरत थी। मालूम हो, इस बार यह भी हुआ है कि महिला राजनीतिकों और मतदाताओं के संबंध में कुछ भी अनर्गल बोलने की हिम्मत राजनीतिकों ने नहीं दिखाई है। जैसे ही ऐसा कुछ हुआ तो चुनाव आयोग ने तुरंत इस पर कार्रवाई करते हुए नोटिस दिया और पार्टी प्रमुख को इसके लिए निर्देशित किया।
इस बार सोमवार और शुक्रवार के दिन भी मतदान हुआ। अब आयोग ने यह माना है कि इन दिनों में मतदान नहीं होना चाहिए। आयोग ने यह भी स्वीकार किया है कि चुनाव गर्मी से पहले होने चाहिए। हालांकि आयोग की ओर से विधानसभा चुनावों में ऐसा ही किया गया था, लेकिन आम चुनाव इतनी बड़ी प्रक्रिया है कि इसे इस बार अंजाम नहीं दिया जा सका। जाहिर है, प्रत्येक निर्वाचन आयोग हर चुनाव से कुछ न कुछ सीखता है और उस खामी को सुधारने के लिए कार्रवाई शुरू करता है। भारत के निर्वाचन आयोग ने अनेक दौर देखे हैं। देश में एक समय तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन भी होते थे, जिनका नाम अब निर्वाचन आयोग का पर्याय है। उन्होंने चुनावों में सुधारीकरण के लिए तमाम जतन किए और आज अगर मुख्य निर्वाचन आयुक्त अपने सहयोगियों के साथ पूरे देश के उन मतदाताओं जिन्होंने वोट किया को खड़े होकर उनका अभिनंदन कर रहे हैं तो यह उन्हीं कदमों के और आगे बढ़ने की कहानी है।
भारत निर्वाचन आयोग पर अनेक आरोप भी लगे हैं, जिसमें एक पक्षीय होकर काम करने का आरोप भी है। राज्यों में अधिकारियों पर भी आरोप हैं। निश्चित रूप से विडम्बना हर कार्य से जुड़ी होती है। लोकतंत्र में हर किसी की एक सोच नहीं हो सकती है तो इसकी उम्मीद भी नहीं की जा सकती कि सभी आयोग की चुनौतियों और उसकी ओर से अंजाम दिए गए इस कारनामे को समझेंगे। ईवीएम पर आरोप और निष्पक्षता के अभाव की शिकायत आदि वही सब लोकतांत्रिक रवायतें हैं जोकि प्रत्येक चुनाव के बाद सामने आती हैं। हालांकि देश की जनता ने फैसला सुना दिया है और आज उसी फैसले के जाहिर होने का दिन है।
यह भी पढ़ें:
Editorial: दिल्ली में जल संकट गंभीर, लेकिन दूसरे राज्य भी अछूते नहीं
Editorial: डेरा प्रबंधक रंजीत हत्या मामले में फैसले का पलटना दुर्भाग्यपूर्ण
Editorial: प्रचंड गर्मी आगामी समय का दे रही संकेत, प्रकृति को बचाओ